बालों को असमय सफेद होने और झड़ने से बचाता है भृंगराज
नदी, नालों, मैदानी इलाकों, खेत और उद्यानों में अक्सर देखा जाने वाला भृंगराज आयुर्वेद के अनुसार बड़ा ही महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। ग्रामीण अंचलों में ब्लैक बोर्ड को काला करने के लिए जिस पौधे को घिसा जाता है, वही भृंगराज है। इसका वानस्पतिक नाम एक्लिप्टा प्रोस्ट्रेटा है। आदिवासी भृंगराज को अनेक हर्बल नुस्खों में औषधि के तौर पर उपयोग में लाते हैं। चलिए आज जानते हैं किस तरह आदिवासी भृंगराज का इस्तेमाल करते हैं।
बाल सफेद होने से बचाव
डांग- गुजरात के हर्बल जानकार त्रिफला, नील और भृंगराज तीनों एक-एक चम्मच लेकर 50 मिली पानी में मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही में रख देते हैं। सुबह इसे बालों में लगाकर, इसके सूख जाने के बाद नहा लिया जाता है। आदिवासियों के अनुसार ये बालों को असमय पकने से रोकता है।
नोट- भृंगराज के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से ज़्यादा भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
बाल झड़ने से बचाव
भृंगराज की ताज़ा पत्तियों को लिया जाए, कुचल लिया जाए और पेस्ट तैयार कर, इसमें थोड़ी सी मात्रा में दही मिलाकर सिर पर 15 मिनट तक लगाया जाए, तो बाल झड़ना रुक जाते हैं। अगर ताज़ा पत्तियां ना हों, तो पत्तियों के चूर्ण को लिया जा सकता है। ये पेस्ट बालों की सेहत के लिए बेहतरीन है।
पीलिया में लाभदायक
भृंगराज के संपूर्ण पौधे का रस पीलिया में दिया जाता है। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार प्रतिदिन आधा गिलास रस पीने से एक सप्ताह के अंदर ही पीलिया के रोगी को राहत मिल जाती है। इस हेतु भृंगराज के पौधे (करीब 50 ग्राम) को लगभग 100 मिली पानी में कुचलकर और फिर छानकर उपयोग में लाया जाता है।
खांसी से आराम
भृंगराज की पत्तियों का रस शहद के साथ मिलाकर देने से बच्चों को खांसी में काफी आराम मिलता है। दिन में कम से कम 3 बार करीब 10 ग्राम पत्तियों को कुचलकर रस तैयार करना चाहिए।
सिरदर्द में आराम
पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि अगर इसकी पत्तियों के रस को मसूड़ों पर लगाया जाए और कुछ मात्रा माथे या ललाट पर लगाई जाए, तो सिरदर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।
एलिफेंटेयासिस में आराम
हाथीपांव या एलिफेंटेयासिस होने पर तिल के तेल के साथ भृंगराज की पत्तियों के रस को मिलाकर पांव पर लेपित करने से फायदा होता है।
एसिडिटी से निजात
एसिडिटी होने पर भृंगराज के पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फलों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड़ के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है।
माईग्रेन में बेहतर परिणाम
माईग्रेन होने पर भृंगराज की पत्तियों को दूध में उबाला जाए और इस दूध की कुछ बूंदें नाक में डाली जाएं, तो आराम मिलता है। अगर बकरी का मिल जाए, तो परिणाम और भी बेहतर मिलते हैं।
त्वचा के रोगों के लिए सहायक
भृंगराज का रस त्वचा के रोगों, फटी एड़ियां और संक्रमण रोकने में कारगर होता है। इसकी पत्तियों को लेकर कुचल लिया जाए और त्वचा के इन हिस्सों पर लगाया जाए, तो आराम मिलने लगता है।
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