तुलसी का काढ़ा पीने से निकलती है किडनी की पथरी बाहर, ये हैं 10 फायदे
भारत के हर हिस्से में तुलसी का पौधा पाया जाता है। इसका पौधा केवल डेढ़ या दो फुट तक बढ़ता है। तुलसी को हिन्दू संस्कृति में अतिपूजनीय पौधा माना गया है। माता तुल्य तुलसी को आंगन में लगा देने मात्र से अनेक रोग घर में प्रवेश नहीं करते हैं। यह हवा को भी शुद्ध बनाने का कार्य करती है। तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है। आदिवासी भी तुलसी को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाते हैं। आज हम तुलसी से जुडे आदिवासियों के ऐसे 10 हर्बल नुस्खों के बारे में बता रहे है जिनके बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो।
1- किडनी की पथरी बाहर निकल सकती है
किडनी की पथरी हो, तो तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 महीने सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।
किडनी की पथरी हो, तो तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 महीने सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।
2- पानी की शुद्धता के लिए
आदिवासी अंचलों मे पानी की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते हैं और कम से कम एक से सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फिर यह पीने योग्य माना जाता है।
3- त्वचा संक्रमण से बचाव
4- दिल की बीमारी में वरदान
5- झाइयां कम करने के लिए
6- फ्लू से बचाव
7- थकान मिटाने के लिए
8- माइग्रेन से बचाव
9- संतान सुख
10- घमौरियों का इलाज
4- दिल की बीमारी में वरदान
5- झाइयां कम करने के लिए
6- फ्लू से बचाव
7- थकान मिटाने के लिए
8- माइग्रेन से बचाव
9- संतान सुख
10- घमौरियों का इलाज
3- त्वचा संक्रमण से बचाव
औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए, तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।
4- दिल की बीमारी में वरदान
दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है, क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। जिन्हें हार्ट अटैक हुआ हो, उन्हें तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है और इसे कोई भी व्यक्ति सेवन में ला सकता है।
दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है, क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। जिन्हें हार्ट अटैक हुआ हो, उन्हें तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है और इसे कोई भी व्यक्ति सेवन में ला सकता है।
5- झाइयां कम करने के लिए
इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाएं और रात को चेहरे पर लगाएं, तो झाइयां नहीं रहतीं, फुंसियां ठीक होती हैं और चेहरे की रंगत में निखार आता है।
6- फ्लू से बचाव
फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। डांग- गुजरात में आदिवासी हर्बल जानकार फ्लू के दौरान बुखार से ग्रस्त रोगी को तुलसी और सेंधा नमक लेने की सलाह देते हैं।
फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। डांग- गुजरात में आदिवासी हर्बल जानकार फ्लू के दौरान बुखार से ग्रस्त रोगी को तुलसी और सेंधा नमक लेने की सलाह देते हैं।
7- थकान मिटाने के लिए
पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते हैं। इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।
8- माइग्रेन से बचाव
इसके नियमित सेवन से 'क्रोनिक-माइग्रेन' के निवारण में मदद मिलती है। प्रतिदिन दिन में 4-5 बार तुलसी से 6-7 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।
9- संतान सुख
आदिवासियों द्वारा शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाता है, तो महिला को जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
10- घमौरियों का इलाज
गर्मियों में घमौरियों के इलाज के लिए डांग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को सुखाकर पाउडर बना लेते हैं और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते हैं। ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।
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