2014 में बदले फिटनेस के ये 6 Rules, डाइट और वर्कआउट के तरीकों में चेंज
इस साल फिटनेस के कई पुराने नियमों को वैज्ञानिकों ने चुनौती दी। डाइट से लेकर वर्कआउट, हमारी आदतों और टेक्नोलॉजी तक, साल भर आई रिसर्चों ने फिटनेस को लेकर हमारे नजरिए को प्रभावित किया है। यहां कुछ ऐसी ही चुनिंदा रिसर्चों के नतीजे दिए जा रहे हैं।
Rule 1-
पहले:
देर तक धीरे-धीरे एक्सरसाइज करना फायदेमंद है।
अब:
फिटनेस एक्सपर्ट मानते हैं कि इस साल की सबसे बड़ी खोज रही एक्सरसाइज करने का सही तरीका। रिसर्च ने साबित किया कि ज्यादा देर एक्सरसाइज करने से उतना फायदा नहीं मिलता
जितना कम समय के लिए किए गए सख्त वर्कआउट से मिलता है। यानी एक्सरसाइज में समय से ज्यादा इंटेंसिटी महत्वपूर्ण है।
देर तक धीरे-धीरे एक्सरसाइज करना फायदेमंद है।
अब:
फिटनेस एक्सपर्ट मानते हैं कि इस साल की सबसे बड़ी खोज रही एक्सरसाइज करने का सही तरीका। रिसर्च ने साबित किया कि ज्यादा देर एक्सरसाइज करने से उतना फायदा नहीं मिलता
जितना कम समय के लिए किए गए सख्त वर्कआउट से मिलता है। यानी एक्सरसाइज में समय से ज्यादा इंटेंसिटी महत्वपूर्ण है।
मोटापा घटाने के लिए लो फैट डाइट लेनी चाहिए।
अब:
हमेशा से यह माना जाता है कि ज्यादा फैट वाला खाना मोटापा बढ़ाता है इसलिए कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट बेहतर है। लेकिन इस साल आई एक रिसर्च ने साबित किया कि फैट की जगह लिया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट शुगर की मात्रा बढ़ाकर मैटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है जिससे मोटापा बढ़ सकता है।
ज्यादा देर बैठना बहुत बुरा नहीं है।
अब:
इस साल लगातार बैठे रहने के नुकसानों पर कई रिसर्च हुईं। करीब 15 स्टडीज ने यह साबित किया है कि लगातार बैठे रहने से कमर दर्द या मोटापे के अलावा भी कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। इनमें कैंसर, डायबिटीज, दिल के रोग और नसों का जाम होने जैसी बीमारियां शामिल हैं।
रात में एक्सरसाइज से नींद पर बुरा असर पड़ता है
अब:
एरीजोना यूनिवर्सिटी की रिसर्च ने साबित किया है कि रात में वर्कआउट भी उतना ही फायदेमंद है जितना कि सुबह और न ही इससे नींद पर बुरा असर होता है। रिसर्च में रात के वर्कआउट को ज्यादा बेहतर माना गया है, क्योंकि रात में शरीर में मेलाटोनिन की मात्रा कम रहती है जिससे सुस्ती नहीं होती।
पहले:
फिटनेस एप्स और गैजेट्स काम की नहीं होतीं।
अब:
वर्ष 2014 में फिटनेस एप्स और गैजेट्स को बेहतर बनाने के लिए काफी काम हुआ, जिन्हें 2013 तक अनुपयोगी माना जा रहा था। इस साल जीपीएस, हार्ट मॉनीटर और कॉलर आईडी आधारित कई वियरेबल गैजेट्स और एप्स आईं जिन्हें रिसर्च ने भी उपयोगी माना।
अब एप्पल जैसी कंपनियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं।
फिटनेस एप्स और गैजेट्स काम की नहीं होतीं।
अब:
वर्ष 2014 में फिटनेस एप्स और गैजेट्स को बेहतर बनाने के लिए काफी काम हुआ, जिन्हें 2013 तक अनुपयोगी माना जा रहा था। इस साल जीपीएस, हार्ट मॉनीटर और कॉलर आईडी आधारित कई वियरेबल गैजेट्स और एप्स आईं जिन्हें रिसर्च ने भी उपयोगी माना।
अब एप्पल जैसी कंपनियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं।
पहले:
ब्लड ग्रुप के हिसाब से होनी चाहिए डाइट।
अब:
यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि आप अपने ब्लड ग्रुप के हिसाब से यह तय कर सकते हैं कि आप क्या खाएं या क्या न खाएं। लेकिन इस साल हाल ही में आई रिसर्च ने इस धारणा को सिरे से नकार दिया। वैज्ञानिकों ने माना कि ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइट तय करने का अच्छी सेहत से कोई संबंध नहीं है।
ब्लड ग्रुप के हिसाब से होनी चाहिए डाइट।
अब:
यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि आप अपने ब्लड ग्रुप के हिसाब से यह तय कर सकते हैं कि आप क्या खाएं या क्या न खाएं। लेकिन इस साल हाल ही में आई रिसर्च ने इस धारणा को सिरे से नकार दिया। वैज्ञानिकों ने माना कि ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइट तय करने का अच्छी सेहत से कोई संबंध नहीं है।
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